[PDF] Maa Chandraghanta Aarti | Beej Mantra | Katha | माँ चंद्रघंटा

[PDF] Maa Chandraghanta Aarti | Beej Mantra | Katha | माँ चंद्रघंटा

Mata Chandraghanta

माँ चंद्रघंटा

(Mata Chandraghanta) माँ चंद्रघंटा देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं और तीसरे नवरात्रि (3rd Navratri Devi) के दिन उनकी पूजा की जाती है। चूँकि उनके माथे पर एक घंटी के आकार का एक अर्ध चन्द्र है, इसलिए माता के इस रूप को चंद्रघंटा के रूप में संबोधित किया जाता है।

शांति और समृद्धि का प्रतीक, मां चंद्रघंटा शेर पर सवार है उनकी तीन आंखें और दस हाथ हैं, उनके दो हाथो मे त्रिशूल है, वह गदा, खड़ग, और धनुष-बाण इत्यादि अस्त्र धारण किये हुए हैं। एक हाथ अभयमुद्रा, घंटा और एक हाथ मे कमल फूल लिए हुए है| माता दुष्टों का संहार करने मे व्यस्त रहती है। वही दूसरी ओर माता, अपने भक्तों के लिए शांत और कोमल है। माता का यह रूप, सुंदरता और बहादुरी दोनों का प्रतीक है|

नवरात्रि का त्योहार एक नई शुरुआत करने और देवी शक्ति के प्रति हमारे समर्पण और श्रद्धा को दर्शाने के लिए एक विशेष अवसर है।

माँ चंद्रघंटा की आरती और माँ चंद्रघंटा के सभी मंत्रो (Maa Chandraghanta Beej Mantra) को पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल कर आप इसे पढ़ सकते है, साथ ही ऑफलाइन पढ़ने के लिए (Mata Chandraghanta Ki Aarti PDF Free) डाउनलोड कर सकते है|

माँ चंद्रघंटा का भक्तो को आशीर्वाद

माँ चंद्रघंटा की आराधना से भक्तो के प्रसिद्धि एवं सम्मान के द्वार खुल जाते है । माँ भक्तो को आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है। नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने की शक्ति देती है और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करती है। और भक्तों को चुनौतियों से साहस और धैर्य के साथ लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करती है।

Chandraghanta Mata Ki Katha

माँ चंद्रघंटा कथा

माता पार्वती की अत्यधिक कठिन तपस्या से अभिभूत होकर भगवान शिव ने उन्हें विवाह करने का वचन दिया|जल्दी ही उनके विवाह का दिन आ गया और भगवान् शिव पार्वती  विवाह करने के लिए पुरे शरीर पर भस्म मल कर सांप धारण करके अघोरी वेश बना कर भूत, प्रेत, बेताल, देवताओ और शिवगणों की बारात लेकर राजा हिमनरेश के महल पर पहुंचे|

पार्वती की मां मैनावती देवी भगवान्  और उनके संगी साथियो को देख कर सोचने लगी की मेरी पुत्री का जीवन नष्ट हो गया और भय के मारे बेहोश हो जाती है।

पार्वती अपने माता-पिता और अपने रिश्तेदारों का भय मिटाने के लिए माता देवी चंद्रघंटा (Mata Chandraghanta) रूप धारण कर लेती हैं। और भगवान् शिव को एक आकर्षक रूप लेने के लिए राजी कर लेती है| उनकी बात मानकर शिव एक अत्यंत आकर्षक रूप धारण कर लेते है शिव का यह रूप अत्यंत मदहोशी वाला था उनके इस रूप को सोमसुंदर (Somsundar) के नाम से जाना जाता है|
जब पार्वती की माता मैनावती होश मे आई और सोमसुंदर को देखा तो उन्होंने कहा की मैं केवल इसी आदमी से अपनी कन्या का विवाह कराऊंगी और फिर शिव और पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ| (Chandraghanta Mata Ki Katha)

Maa Chandraghanta Beej Mantra

माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र

Maa Chandraghanta Beej Mantra
Maa Chandraghanta Beej Mantra

|| बीज मंत्र ||
|| ॐ ऐं श्री शक्तयै नमः ||

Maa Chandraghanta Ka Mantra

|| स्तुति ||
या देवी सर्वभूतेषु , मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः |

|| मंत्र ||
|| ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः ||

|| प्रार्थना ||
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता | प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||

|| ध्यान ||
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् |
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम् ||
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम् |
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम् ||
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम् |
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम ||
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम् |
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम् ||

|| स्रोत्र ||
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम् |
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम् ||
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम् |
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम् ||
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम् |
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम् ||

|| कवच ||
रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने |
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम् ||
बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम् |
स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम ||
कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च |
न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम् ||

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Mata Chandraghanta Ki Aarti in Hindi

|| माँ चन्द्रघण्टा आरती ||

|| ॐ श्री गणेशाय नमः ||
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम | पूर्ण कीजो मेरे काम ||
चन्द्र समाज तू शीतल दाती | चन्द्र तेज किरणों में समाती ||
मन की मालक मन भाती हो | चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो ||
सुन्दर भाव को लाने वाली | हर संकट में बचाने वाली ||
हर बुधवार को तुझे ध्याये | श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए ||
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए | शीश झुका कहे मन की बाता ||
पूर्ण आस करो जगत दाता | कांचीपुर स्थान तुम्हारा ||
कर्नाटिका में मान तुम्हारा | नाम तेरा रटू महारानी ||
भक्त की रक्षा करो भवानी | जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम |
पूर्ण कीजो मेरे काम ||

Mata Chandraghanta Ki Aarti in Hindi PDF

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