Ram Raksha Stotra PDF Download | राम रक्षा स्तोत्र पीडीएफ

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राम रक्षा स्तोत्र के पाठ करने से जो राम-राम नाम की गर्जना होती है तो यमदूत भी डरकर भाग जाते हैं। तीनो लोको में छलावा आदि रूप में विचरने वाले नकारात्मक जीव व्  दुष्ट शक्तियो को राम नाम की सुरक्षा में रहने व्यक्ति नहीं दिखते है।

राम रक्षा स्तोत्रRam Raksha Stotra in Hindi

भगवान् शिव ने महर्षि बुध कौशिक को स्वपन में राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) पाठ सुनाया था और उनके आदेश का पालन कर ऋषि ने इस स्तोत्र को लिखा| 

राम रक्षा स्तोत्र में बताया है कि श्रीराम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मणानुच, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम, वेदान्त्वेघ, यज्ञेश,पुराण पुरूषोतम , जानकी वल्लभ, श्रीमान, अप्रमेय, पराक्रम आदि नामों का नित्य श्रद्धा भक्ति भाव से जप करने वाले व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है| भगवान् के दिव्य नामों से स्तुति करने वाला नर जीवन मृत्यु के चक्र से पार हो जाता है|

भगवान् शिव ने माता पार्वती को बताया था कि राम-नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम‘ के समान फलदायी हैं और मैं स्वयं मन को लुभाने वाले राम नाम का सदा स्मरण व् ध्यान करता हूँ|राम रक्षा स्तोत्र को ऑफलाइन पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल कर आप Ram Raksha Stotra PDF Download कर सकते है|

राम रक्षा स्तोत्र लिरिक्स अर्थ सहितRam Raksha Stotra PDF with Hindi Meaning

Ram Raksha Stotra PDF in Hindi

।। ॐ श्री गणेशाय नमः ।।

अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमंत्रस्य बुधकौशिक ऋषिः श्रीसीतारामचंद्रो देवता अनुष्टुप छंदः सीता शक्तिः श्रीमद हनुमान कीलकम श्रीरामचन्द्र प्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ।।

हिंदी अनुवाद
श्री रामरक्षास्तोत्र मंत्र की रचना बुधकौशिक ऋषि द्वारा की गयी है। माता सीता और प्रभु श्रीरामचंद्र इसके देवता हैं।
इसमें माँ सीता शक्ति और श्री हनुमान जी कीलक है, अनुष्टुप छंद हैं। भगवान् श्रीरामचंद्र को प्रसन्न करने के उद्देश्य हेतु राम रक्षा स्तोत्र का पाठ किया जाता हैं।

।। अथ ध्यानम ।।
ध्यायेदाजानुबाहुं घृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थम, पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्ननम, वामांकारुढ़ सीतामुखकमलमिल्ललोचनं नीरदाभम, नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामंडनं रामचंद्रम ।।


हिंदी अनुवाद
हम उनका ध्यान करते है, जो पीतांबर धारण किए हुए हैं, उनके हाथो में धनुष-बाण हैं, वह बद्ध पद्मासन की मुद्रा में विराजित हैं। जिनके प्रसन्नचित नेत्र नए-नए खिले हुए कमल पुष्प के समान आपस में स्पर्धा कर रहे हैं, जिनके बायीं ओर सीताजी विराजमान है और उनके मुख कमल मिले हुए हैं। हम उन नाना अलंकारों से विभूषित जटाधारी श्रीरामचंद्र का ध्यान करते है


।। इति ध्यानम ।।
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ।।1
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् । जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ।।2
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् । स्वलीलया जगत्रातुं आविर्भूतम अजं विभुम् ।।3
रामरक्षां पठेतप्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् । शिरोमे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ।।4


हिंदी अनुवाद
श्री रघुनाथजी का चरित्र सौ करोड़ बड़े पैमाने फैला हुआ है राम नाम का एक-एक अक्षर पांच महापापो (ब्रह्महत्या, सुरापान, चोरी, गुरुपत्नी के साथ संबंध और इन चार प्रकार के पापकर्मों में लिप्त व्यक्ति के साथ अंतरंगता) का नाश करने वाला है ।1
जिनका वर्ण नीले कमल के समान है, कमल नेत्र है और जिनकी जटाएँ मुकुट के समान सुशोभित है| ऐसे प्रभु श्री राम का माता जानकी तथा लक्ष्मण जी सहित हम ध्यान करते है। 2
जो सर्व्याप्त है और जन्म के बंधन से मुक्त है, हाथों में खड़ग, तरकश, धनुष व् बाण धारण किए है और दुष्टो के लिए विध्वंशक है। जिन्होंने अपनी लीला से इस जगत रक्षा की हम उन प्रभु श्रीराम का स्मरण करते है।
3
मैं राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता हूँ जो सर्वकामप्रद व् सभी पापों को नष्ट करने वाला है। राघव मेरे सिर की और दशरथ पुत्र श्रीराम मेरे ललाट की रक्षा करें।4
Ram Raksha Stotra PDF


कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियश्रुती । घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ।।5
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कंठं भरतवन्दितः । स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ।।6
सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित । मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ।।7
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः । उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृता ।।8


हिंदी अनुवाद
माता कौशल्या के लाल मेरे नेत्रों की, गुरु विश्वामित्र के प्रिय मेरे कानों की, यज्ञरक्षक मेरे नाक की और माता सुमित्रा के वत्सल मेरे मुख की रक्षा करें। 5
मेरी जिह्वा की विधानिधि, कंठ की भरत जिनकी वंदना करते है, कंधों की दिव्य हथियारों वाले और भुजाओं की भगवान् शिव का धनुष भंग करने वाले प्रभु श्रीराम रक्षा करें।
6
सीता पति मेरे हाथों की, महर्षि जमदग्नि के पुत्र महर्षि परशुराम को जीतने वाले मेरे  हृदय की, राक्षस खर का वध करने वाले शरीर के मध्य भाग की और जामवंत को आश्रय देने वाले प्रभु श्रीराम मेरे नाभि की रक्षा करें।
7
वानरों के राजा सुग्रीव के स्वामी मेरे कमर की, श्री हनुमान जी के प्रभु हड्डियों की और राक्षस कुल का विनाश करने वाले रघुश्रेष्ठ मेरे जंघा रक्षा करें।
8

जानुनी सेतुक्रित्पातु जंघे दशमुखान्तकः । पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोखिलं वपुः ।।9
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत । स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ।।10
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः । न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ।।11
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन । नरो न लिप्यते पापैः र्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ।।12


हिंदी अनुवाद
सेतुकृत मेरे घुटनो की, दस मुखो वाले रावण के वधकर्ता मेरे जंघाओं की, विभीषण को राज्य देने वाले मेरे चरणों की और प्रभु श्रीराम मेरे सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें ।9
जो भक्त धर्म और पुण्य का काम करते है और रामबल में श्रद्धा रखकर इस स्तोत्र का पाठ करते हैं, उनके व्यवहार मे नम्रता आती हैं और भक्त दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी होते है।10
ऐसे जीव व् शक्तियां जो पाताल, धरती और आकाश में और छलावा के रूप में विचरते है, ऐसे दुष्टो को राम नाम की सुरक्षा में रहने व्यक्ति दिखते भी नहीं है ।11
राम, रामभद्र व् रामचंद्र श्रीराम के नामों का स्मरण करने वाले भक्त पाप कर्मो में लिप्त नहीं होते है और संसार के सुखो को भोग वह मोक्ष भी अवशय प्राप्त करते है।12

जगतजैत्रैकमंत्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् । यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ।।13
वज्रंपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत । अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ।।14
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षांमिमां हरः । तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ।।15
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् । अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ।।16


हिंदी अनुवाद
जो मनुष्य इस संसार पर विजय प्राप्त करने वाले राम नाम मंत्र से रक्षित इस स्तोत्र को कंठ पर धारण कर लेते हैं, उन्हें सर्व सिद्धियो की प्राप्ति होती हैं । 13
जो मनुष्य वज्रपंजर (इसका पाठ करने वाले के चारो ओर वज्र समान सुरक्षित पिंजरा घेरा बन जाता है) नाम से भी पहचाने वाले राम कवच का स्मरण करते हैं, उनकी आज्ञा की कहीं भी अवहेलना नहीं होती और उन्हें सर्वत्र विजय व् मंगल की प्राप्ति होती हैं । 14
भगवान् शिव ने स्वप्न में ऋषि बुध कौशिक को रामरक्षा स्तोत्र को जिस प्रकार से लिखने का आदेश  दिया, सुबह जागने पर ऋषि ने उसे वैसा ही लिख दिया। 15
जो सकल विपत्तियों को दूर करने वाले हैं और जैसे बगीचे में कल्पवृक्षों के समान विश्राम देने वाले हैं, और जो तीनो लोकों में सुंदर हैं, वह श्री राम हमारे प्रभु हैं। 16
Ram Raksha Stotra PDF


तरुणौ रूपसंम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ । पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ।।17
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ । पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ।।18
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् । रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ।।19
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ । रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ।।20


हिंदी अनुवाद
वो युवा है और सुन्दर रूप से सम्पन्न है, वह सुकुमार भी है और महाबली भी है| जिनके कमल की भांति विशाल नेत्र  हैं, और जो मुनियों की भांति वस्त्र व् काले मृग की खाल धारण करते हैं।
17
जो फल व् कंद-मूल का भोजन करते हैं, जो तपस्वी एवं ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वो महाराज दशरथ के पुत्र श्री राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें।
18
सभी धनुर्धारियों में श्रेष्ठ समस्त प्राणियों को शरण देने वाले, राक्षसों के कुल का समूल नाश करने में वाले कृपा करे और हमें हमारे सभी संकटो से मुक्ति प्रदान करें।
19
जिनका दिव्य धनुष उनके सीने को स्पर्श कर रहा है, अक्षय बाणों से युक्त तरकश कंधे पर लिए हुए श्री राम लक्ष्मण मेरी रक्षा करने के लिए सदैव मेरे आगे चलें और मेरा मार्ग दर्शन करे।
20
(Ram Raksha Stotra PDF)

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा । गच्छन्मनोरथोस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ।।21
रामोदाश रथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली । काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ।।22
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः । जानकीवल्लभः श्रीमान अप्रमेय पराक्रमः ।।23
इत्येतानि जपननित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः । अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशयः ।।24


हिंदी अनुवाद
वह युवा जो कवच, खडग, धनुष व् बाण धारण किए हुए है भगवान् राम लक्ष्मण सहित आगे चलकर हमारी रक्षा करें व् मनोरथ को पूर्ण करे।
21
भगवान् का कथन है कि श्रीराम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मणानुच, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम।
22
वेदान्त्वेघ, यज्ञेश,पुराण पुरूषोतम , जानकी वल्लभ, श्रीमान, अप्रमेय, पराक्रम आदि नामों का।
23
नित्य श्रद्धा भक्ति भाव से जप करने वाले व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है इसमें कोई संशय नहीं हैं।
24

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम । स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैः न ते संसारिणो नरः ।।25
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं । काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।।26
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिम । वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ।।27
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे । रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।।28


हिंदी अनुवाद
भगवान् श्रीराम जिनका श्याम वर्ण दूर्वादल के समान, नेत्र कमल के समान है  एवं वो  पीतांबर वस्त्र धारी है उनके दिव्य नामों से स्तुति करने वाला नर जीवन मृत्यु के चक्र से पार हो जाता है। 25
लक्ष्मण जी के पूर्वज,  अतिसुंदर सीताजी के पति, काकुत्स्थ (श्रीराम के परिवार का नाम), करुणा के सागर, सभी गुणों का निधान करने वाले (गुणनिधिं), भक्तो के प्रिय, परम धार्मिक। 26
राजाओं के राजा, सत्यनिष्ठ, महाराज दशरथ के पुत्र, श्याम वर्ण वाले शांत मूर्ति, रघुकुल के तिलक, राघव व् रावण के शत्रु सम्पूर्ण लोकों में प्रशंसनीय  भगवान् राम की मैं वंदना करता हूँ। 27
राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधाता स्वरूप, हे प्रभु रघुनाथ, सीतापति आपको मैं नमस्कार करता हूँ। 28
Ram Raksha Stotra PDF with Meaning in Hindi

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम । श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम । श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।।29
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि । श्रीरामचंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ।।30
माता रामो मत्पिता रामचंद्रः । स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्रः ।।
सर्वस्वं मे रामचंद्रो दयालुः । नान्यं जाने नैव जाने न जाने ।।31
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा । पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनंदनम ।।32


हिंदी अनुवाद
हे रघुनन्दन श्रीराम, हे भरतजी के अग्रज श्रीराम, हे रण को समाप्त करने वाले श्री राम, मुझे अपनी शरण में लीजिए।
29
प्रभु श्रीरामचंद्र, मैं अपने मन से आपके चरणों का स्मरण व् अपने वचन से आपका गुणगान करता हूँ, मै प्रभु श्रीरामचन्द्र के चरणों शीश नवा कर प्रणाम करता हूँ व् स्वयं को आपके चरणों में समर्पित करता हूँ। 30
श्रीराम आप ही मेरे माता व् पिता है, आप ही मेरे स्वामी व् सखा हैं। हे दयालु श्रीराम आप मेरे सबकुछ हैं, आपके अलावा मै किसी और दुसरे को नहीं जानता।
31
जिनके दाहिनी तरफ लक्ष्मणजी व् बाहिनी तरफ जनकपुत्री सीताजी और आगे हनुमानजी विराजमान हैं, मै उन रघुनंदन की वंदना करता हूँ।
32

लोकाभिरामं रणरंगधीरम राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम । कारुण्यरूपं करुणाकरणतम श्रीराम चरणं शरणं प्रपद्ये ।।33
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।।34
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम । आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ।।35
आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् । लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।।36


हिंदी अनुवाद
मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीड़ा में धीर, कमलनेत्र वाले, रघुवंश नायक, करुणा की मूर्ति और करुणा के भण्डार प्रभु श्रीराम के चरणों में शरण लेता हूँ।
33
जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्द्रिय (जिन्हे अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त है) व् बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, मैं उन वानरों में श्रेष्ठ श्रीराम दूत पवनपुत्र हनुमान जी की शरण लेता हूँ।
34
मैं कविता रुपी शाखा पर बैठकर, मधुर अक्षरों वाले मधुर नाम ‘राम-राम’ को कूजते हुए कोयल रुपी वाल्मीकि जी की वंदना करता हूँ। 35
मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर सबके प्रिय उन भगवान् श्रीराम को बारम्बार नमन करता हूँ, जो सभी आपदाओं को दूर करने वाले और सर्व सम्पदा प्रदान करने वाले हैं। 36

(Ram Raksha Stotra PDF)

भर्जनं भवबीजानाम अर्जनं सुखसम्पदाम् । तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् ।।37
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे । रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं । रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ।।38
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।39


।। इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णं ।।
।। श्रीसीतारामचंद्रार्पणमस्तु ।।


हिंदी अनुवाद
बीज रुपी राम-राम नाम का जप करने वाले मनुष्य भवपार हो जाते हैं और वह समस्त सुख-सम्पदा को प्राप्त करते हैं।
जब राम-राम नाम की गर्जना होती है तो यमदूत भी डर जाते हैं। 37
राजाओं में श्रेष्ठ श्रीराम, सदा विजयी होने वाले लक्ष्मीपति भगवान् श्रीराम का भजन करता हूँ। निशाचरों का नाश करने वाले श्रीराम को मैं नमस्कार करता हूँ।
श्रीराम के समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं, मैं उन शरणागत वत्सल का दास हूँ। मेरा चित सदा प्रभु श्रीराम में लीन रहे। हे प्रभु कृपा कर मुझे इस संसार रूपी भवसागर से पार करें।
38
भगवान् शिव ने पार्वती जी से बोले – हे देवी, राम-नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान फलदायी हैं और मैं स्वयं मन को लुभाने वाले राम नाम का सदा स्मरण व् ध्यान करता हूँ।
39

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भगवान् श्रीराम के अन्य पाठ

श्री राम रक्षा स्तोत्र पाठ के लाभRam Raksha Stotra Path Benefits

राम रक्षा स्तोत्र में महर्षि बुध कौशिक द्वारा इसका पाठ करने से होने वाले लाभों के बारे में बताया है। पाठ के लाभ (Ram Raksha Stotra Benefits) व् पाठ का महत्व जानने के लिए स्तोत्र का अर्थ आवश्य पढ़े: 

– राम रक्षा स्तोत्र का पाठ पांच महापापो (ब्रह्महत्या, सुरापान, चोरी, गुरुपत्नी के साथ संबंध और इन चार प्रकार के पापकर्मों में लिप्त व्यक्ति के साथ अंतरंगता) का नाश करने वाला है।

– राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति के शरीर की रक्षा राम लक्ष्मण जी करते है।

– राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति के व्यवहार मे नम्रता आती हैं और वो भक्त दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी होते है।

– राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति पाप कर्मो में लिप्त नहीं होते और संसार के सुखो को भोगकर अंत में उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी अवशय ही होती है।

– राम रक्षा स्तोत्र को कंठ पर धारण (कंठस्त) करने वाले व्यक्ति को सर्व सिद्धियो की प्राप्ति होती हैं।

– इस स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति के चारो ओर वज्र समान सुरक्षित सुरक्षा घेरा बन जाता है और हर जगह उनकी आज्ञा का पालन होता है व् उन्हें सर्वत्र विजय व् मंगल की प्राप्ति होती हैं।

– इस स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति के जीवन का मार्ग दर्शन श्रीराम करते है व् उनकी रक्षा कर मनोरथ को पूर्ण करते है।

– इस स्तोत्र का पाठ सभी आपदाओं को दूर कर सर्व सम्पदा प्रदान करने वाला हैं।

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