Download Surya Chalisa PDF Lyrics in Hindi & English | सूर्य चालीसा PDF

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भगवान् सूर्य देव को प्रसन्न करने का चमत्कारी उपाय
पौष महीने में सूर्य देव का स्वरुप भगवान् का होता है जो मनुष्य पौष महीने में सूर्य देव के बारह नामो का जप करते है उन पर भगवान् की कृपा होती है व् उनके दुख, दरिद्रता व् पापो का नाश होता हैं।

सूर्य चालीसा में भगवान् सूर्य देव को प्रसंन्न करने का बेहद ही आसान और चमत्कारी उपाय बताया हुआ है| वह उपाय इस प्रकार है: 

पौष के महीने में सूर्य देव का स्वरुप भगवान् का होता है| जो मनुष्य पौष महीने में सूर्य देव के बारह नामो, मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता, सूर्य, अर्क, खग, कलिकर, रवि, आदित्य को जप कर और भगवान् को हिरण्यगर्भाय नाम से पुकार कर प्रेम से सूर्य देव का गुणगान करते है और बारह बार सूर्य देव को नमन करते है उन पर भगवान् की कृपा करते है और फलस्वरुप उनके दुख, दरिद्रता व् पापो का नाश हो जाता हैं।

यह उपाय सूर्य देव की कृपा पाने के लिए एक सरल व् चमत्कारिक उपाय है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से सूर्य उपासना करते है, उन्हें आठों सिद्धियां व नौ निधियां प्राप्त होती है। सूर्यदेव के बारह नामों का उच्चारण करने से सहस्र जन्मों के पापीयों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

जो जन सूर्य देव की महिमा का बखान करते है उनकी कृपा से क्षण भर में ही उन्हें शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है व् उनके धन, संतान व् परिवार में समृद्धि बढ़ती है, उनके प्रबल से प्रबल मोह के बंधन भी कट जाते हैं।

सूर्य नमस्कार को सबसे शक्तिशाली योग मुद्राओ में से एक माना जाता है, इस योगासन के 12 स्टेप्स है और हर स्टेप का एक सूर्य मंत्र है| सूर्य नमस्कार मंत्र के पाठ से होने वाले लाभ पढ़ने के लिए क्लिक करे|

भगवान् सूर्य देव का स्वरुप

भगवान् सूर्य देव का शरीर स्वर्ण की भांति है, उनके गले में मोतियों की माला व कानों में मकर के कुंडल हैं। वह शंख तथा चक्र धारण किये हुए पद्मासन मुद्रा में विराजमान है|  सूर्यदेव के मंडल की महिमा अति न्यारी है।

सूर्य देव का रथ

सूर्य देव का रथ सात घोड़ों वाला है और अरुण सूर्य देव के रथ के सारथी हैं|

उनके रथ में उच्चै:श्रवा सफ़ेद रंग सात मुख वाला उड़ने वाला घोड़ा भी है, जो पवन की गति के सामान उड़ते है| उनके रथ को देखकर देवराज इंद्र भी शर्माते हैं| 

भगवान् सूर्य देव के द्वादश नाम

भगवान् सूर्य के द्वादश नाम यह है, मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता, सूर्य, अर्क, खग, कलिकर, रवि, आदित्य.

इनके अलावा भी सूर्यदेव को अनेको नामो से जाना जाता है| सहस्त्राशुं, सप्ताश्व, तिमिरहर, भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, विभाकर, विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरुप विरोचन, अंबरमणि, खग और रवि प्रमुख नाम है|

सूर्य देव को वदों में हिरण्यगर्भ कहा गया है। और मुनिगण सूर्य देव को सहस्त्रांशु प्रद्योतन कहकर प्रसन्न होते हैं।

Surya Chalisaसूर्य चालीसा

भगवान् सूर्य देव की चालीसा दो प्रकार से गाकर की जाती है| इस पोस्ट में दोनों ही चालीसा के लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश में दिए गए है| भक्त दोनों में से किसी भी चालीसा का पाठ कर सूर्य देव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है| 
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Surya Chalisa in Hindi PDF

सूर्य चालीसा लिरिक्स PDF | जय सविता जय जयति दिवाकर

|| श्री सूर्य चालीसा ||

|| श्री गणेशाय नमः ||

|| दोहा ||

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग ।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग ॥


|| चौपाई ||
जय सविता जय जयति दिवाकर । सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिर हर ॥
भानु पतंग मरीची भास्कर । सविता हंस सुनूर विभाकर ॥

विवस्वान आदित्य विकर्तन । मार्तण्ड हरिरूप विरोचन ॥
अंबर मणि खग रवि कहलाते । वेद हिरण्यगर्भ कह गाते ॥


सहस्त्रांशु प्रद्योतन कहिकहि । मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि ॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर । हांकत हय साता चढ़ि रथ पर ॥

मंडल की महिमा अति न्यारी । तेज रूप केरी बलिहारी ॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते । देखि पुरन्दर लज्जित होते ॥


मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर । सविता सूर्य अर्क खग कलिकर ॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै । हिरण्य गर्भाय नमः कहिकै ॥

द्वादश नाम प्रेम सोंम गावैंम । मस्तक बारह बार नवावैं ॥
चार पदारथ जन सो पावै । दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै ॥


नमस्कार को चमत्कार यह । विधि हरिहर को कृपासार यह ॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई । अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई ॥

बारह नाम उच्चारन करते । सहस जनम के पातक टरते ॥
उपाख्यान जो करते तवजन । रिपु सों जमलहते सोतेहि छन ॥


धन सुत जुत परिवार बढ़तु है । प्रबल मोह को फंद कटतु है ॥
अर्क शीश को रक्षा करते । रवि ललाट पर नित्य बिहरते ॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत । कर्ण देस पर दिनकर छाजत ॥
भानु नासिका वास करहु नित । भास्कर करत सदा मुखको हित ॥


ओंठ रहैं पञ्च जन्य  हमारे । रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे ॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा । तिग्म तेजसः कांधे लोभा ॥

पूषां बाहू मित्र पठी पर । त्वष्टा वरुण रहम संष्णाकर ॥
युगल हाथ पर रक्षा कारण । भानुमान उर सर्म सु उद रचन ॥


बसत नाभि आदित्य मनोहर । कटिमहहान्स रहत मन मुदभर ॥
जंघा गोपति सविता बासा । गुप्त दिवाकर करत हुलासा ॥

विवस्वान पद की रखवारी । बाहर बसते नित तम हारी ॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै । रक्षा कवच विचित्र विचारे ॥


अस जोजन अपने मन माहीं । भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दरिद्र कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै । योजन याको मन मह जापै ॥

अंधकार जग का जो हरता । नव प्रकाश से आनन्द भरता ॥
ग्रह गण ग्रसि न मिटावत जाही । कोटि बार मैं प्रनवौं ताही ॥


मंद सदृश सुत जग में जाके । धर्मराज सम अद्भुत बांके ॥
धन्य धन्य तुम दिनमनि देवा । किया करत सुरमुनि नर सेवा ॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों । दूर हटतसो भवके भ्रम सों ॥
परम धन्य सों नर तनधारी । हैंम प्रसन्न जेहि पर तम हारी ॥


अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन । मधु वेदांग नाम रवि उदयन ॥
भानु उदय बैसाख गिनावै । ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै ॥

यम भादों आश्विन हिमरेता । कार्तिक होत दिवाकर नेता ॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं । पुरुष नाम रवि हैं मलमा सहिं ॥


|| दोहा ||
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य ।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहिं सदा कृतकृत्य ॥

॥ इति श्री सूर्य चालीसा सम्पूर्णम ॥

Surya Chalisa PDF – जय सविता जय जयति दिवाकर

सूर्य देव के अन्य पाठ

सूर्य चालीसा लिरिक्स श्री रवि हरत हो घोर तम

|| श्री सूर्य चालीसा ||

|| ॐ  गणेशाय नमः ||

|| दोहा ||

श्री रवि हरत हो घोर तम, अगणित किरण पसारी |
वंदन करू तब चरणन में, अर्ध्य देऊ जल धारी ||

सकल सृष्टि के स्वामी हो, सचराचर के नाथ |
निसदिन होत तुमसे ही, होवत संध्या प्रभात ||


|| चौपाई ||

जय भगवान सूर्य तम हरी, जय खगेश दिनकर शुभकारी |
तुम हो सृष्टि के नेत्र स्वरूपा, त्रिगुण धारी त्रै वेद स्वरूपा ||

तुम ही करता पालक संहारक, भुवन चतुदर्श के संचालक |
सुंदर बदन चतुर्भुज धारी, रश्मि रथी तुम गगन विहारी ||


चक्र शंख अरु श्वेत कमलधर, वरमुद्रा सोहत चोटेकर |
शीश मुकुट कुंडल गल माला, चारु तिलक तब भाल विशाला ||

सप्त अश्व रथ अतिद्रुत गामी, अरुण सारथी गति अविरामी |
रक्त वरुण आभूषण धारक, अतिप्रिय तोहे लाल पदार्थ ||


सर्वात्मा कहे तुम्हें ऋग्वेदा, मित्र कहे तुमको सब वेदा |
पंचदेवों में पूजे जाते, मनवांछित फल साधक पाते ||

द्वादश नाम जाप उदधारक, रोग शोक अरु कष्ट निवारक |
माँ कुन्ती तब ध्यान लगायों, दानवीर सूत कर्ण सो पायो ||


राजा युधिष्ठिर तब जस गायों, अक्षय पात्र वो वन में पायो |
शस्त्र त्याग अर्जुन अकुरायों, बन आदित्य ह्रदय से पायो ||

विंध्याचल तब मार्ग में आयो, हाहाकार तिमिर से छायों |
मुनि अगस्त्य गिरि गर्व मिटायो, निजटक बल से विंध्य नवायो ||


मुनि अगस्त्य तब महिमा गायी, सुमिर भये विजयी रघुराई |
तोहे विरोक मधुर फल जाना, मुख में लिन्ही तोहे हनुमाना ||

तब नंदन शनिदेव कहावे, पवन के सूत शनि तीर मिटावे |
यज्ञ व्रत स्तुति तुम्हारी किन्ही, भेंट शुक्ल यजुर्वेद की दीन्ही ||


सूर्यमुखी खरी तर तब रूपा, कृष्ण सुदर्शन भानु स्वरूपा |
नमन तोहे ओंकार स्वरूपा, नमन आत्मा अरु काल स्वरूपा ||

दिग दिगंत तब तेज प्रकाशे, उज्ज्वल रूप तुम्ही आकाशे |
दश दिग्पाल करत तब सुमिरन, अंजली नित्य करत हैं अर्पण ||


त्रिविध ताप हरता तुम भगवन, ज्ञान ज्योति करता तुम भगवन |
सफल बनावे तब आराधन, गायत्री जप सरल है साधन ||

संध्या त्रिकाल करत जो कोई, पावे कृपा सदा तब वो ही |
चित शांति सूर्याष्टक देवे, व्याधि अपाधि सब हर लेवे ||


अष्टदल कमल यंत्र शुभकारी, पूजा उपासन तब सुखकारी |
माघ मास शुद्ध सप्तमी पावन, आरंभ हो तब शुभ व्रत पालन ||

भानु सप्तमी मंगलकारी, भक्ति दायिनी दोषण हारी |
रविवासर जो तुमको ध्यावे, पुत्रादिक सुख वैभव पावे ||


पाप रूपी पर्वत के विनाशी, व्रज रूप तुम हो अविनाशी |
राहू आन तब ग्रास बनावे, ग्रहण सूर्य तोको लग जावे ||

धर्म दान तप करते है साधक, मिटत राहू तब पीड़ा बाधक |
सूर्य देव तब कृपा कीजे, दीर्घ आयू बल बुद्धि दीजे ||


सूर्य उपासना कर नित ध्यावे, कुष्ट रोग से मुक्ति पावे |
दक्षिण दिशा तोरी गति जावे, दक्षिणायन वो ही कहलावे ||

उत्तर मार्गी तोरो रथ होवे, उत्तरायण तब वो कहलावे |
मन अरु वचन कर्म हो पावन, संयम करता भलित आराधन ||


|| दोहा ||

भरत दास चिंतन करत, घर दिनकर तब ध्यान |
रखियों कृपा इस भक्त पे, तुम्हारी सूर्य भगवान ||

|| ॐ श्री सूर्य देवाय नमः ||

Surya Chalisa PDF – श्री रवि हरत हो घोर तम

Surya Chalisa Lyrics in English – Jay Savita Jay Jayati Divakar

|| Shri Ganeshaya Namah ||

|| Doha ||

Kanak Badan Kundal Makar, Mukta Mala Ang |
Padmasan Sthita Dhyaie, Shankh Chakra Ke Sang ||


|| Chaupai ||

Jay Savita Jay Jayati Divakar | Sahastraanshu Saptaashv Timir Har |
Bhaanu Patang Mareechee Bhaaskar | Savita Hans Sunoor Vibhaakar |

Vivasvaan Aaditya Vikartan | Maartanda Hariroop Virochan |
Ambar Mani Khag Ravi Kahalaate | Ved Hiranyagarbh Kah Gaate |


Sahastraanshu Pradyotan Kahikahi | Munigan Hot Prasann Modalahi |
Arun Sadrsh Saarathee Manohar | Haankat Hay Saata Chadhi Rath Par |

Mandal Kee Mahima Ati Nyaaree | Tej Roop Keree Balihaaree |
Uchchaihshrava Sadrsh Hay Jote | Dekhi Purandar Lajjit Hote |


Mitr Mareechi Bhaanu Arun Bhaaskar | Savita Soory Ark Khag Kalikar |
Poosha Ravi Aadity Naam Lai | Hirany Garbhaay Namah Kahikai |

Dwadash Naam Prem Somm Gaavaimm | Mastak Baarah Baar Navaavain |
Char Padaarath Jan So Paavai | Duhkh Daaridra Agh Punj Nasaavai |


Namaskar Ko Chamatkar Yah | Vidhi Harihar Ko Krpaasaar Yah |
Sevai Bhanu Tumahin Man Lai | Ashtasiddhi Navanidhi Tehin Pai |

Baarah Naam Uchchaaran Karate | Sahas Janam Ke Paatak Tarate |
Upaakhyaan Jo Karate Tavajan | Ripu Son Jamalahate Sotehi Chhan |


Dhan Sut Jut Parivaar Badhatu Hai | Prabal Moh Ko Phand Katatu Hai |
Ark Sheesh Ko Raksha Karate | Ravi Lalaat Par Nity Biharate |

Surya Netr Par Nity Viraajat | Karn Des Par Dinkar Chhaajat |
Bhanu Naasika Vaas Karahu Nit | Bhaskar Karat Sada Mukhako Hit
|

Onth Rahain Panch Jany Hamaare | Rasana Beech Teekshn Bas Pyaare |
Kanth Suvarn Ret Kee Shobha | Tigm Tejasah Kaandhe Lobha |

Pooshaan Baahoo Mitra Pathi Par | Tvashta Varun Raham Sanshnaakar |
Yugal Haath Par Raksha Kaaran | Bhanuman Ur Sarm Su Ud Rachan |


Basat Naabhi Aadity Manohar | Katimahahaans Rahat Man Mudabhar |
Jangha Gopati Savita Baasa | Gupt Divakar Karat Hulaasa |

Vivasvaan Pad Ki Rakhavaari | Baahar Basate Nit Tam Haari |
Sahastraanshu Sarvaang Samhaarai | Raksha Kavach Vichitr Vichaare |


As Jojan Apane Man Maaheen | Bhay Jagabeech Karahun Tehi Naaheen |
Daridr Kushth Tehin Kabahu Na Vyaapai | Yojan Yaako Man Mah Jaapai |

Andhakaar Jag Ka Jo Harata | Nav Prakaash Se Aanand Bharata |
Grah Gan Grasi Na Mitaavat Jaahi | Koti Baar Main Pranavaun Taahi |


Mand Sadrsh Sut Jag Mein Jaake | Dharmaraaj Sam Adbhut Baanke |
Dhany Dhany Tum Dinamani Deva | Kiya Karat Suramuni Nar Seva |

Bhakti Bhaavayut Poorn Niyam Son | Door Hatataso Bhavake Bhram Son |
Param Dhany Son Nar Tanadhaari | Haimm Prasann Jehi Par Tam Haari |


Arun Maagh Mahan Soory Phaalgun | Madhu Vedaang Naam Ravi Udayan |
Bhanu Uday Baisaakh Ginaavai | Jyeshth Indr Aashaadh Ravi Gaavai |

Yam Bhaadon Aashvin Himareta | Kaartik Hot Divaakar Neta |
Agahan Bhinn Vishnu Hain Poosahin | Purush Naam Ravi Hain Malama Sahin |

|| Doha ||

Bhanu Chalisa Prem Yut, Gaavahin Je Nar Nity |
Sukh Sampatti Lahai Vividh, Honhin Sada Krtakrty |

| Iti Shri Surya Chalisa Sampoornam |

Surya Chalisa PDF – Jay Savita Jay Jayati Divakar

Surya Chalisa Lyrics in English – Jay Bhagawan Surya Tam Haari

|| Om Shri Ganeshaya Namah ||

|| Doha ||

Shri Ravi Harat Ho Ghor Tam, Agnit Kiran Pasaari |
Vandan Karun Tab Charanan Mein, Ardhya Deu Jal Dhaari ||

Sakal Srishti Ke Swami Ho, Sachrachar Ke Nath |
Nisdin Hot Tumse Hi, Hovat Sandhya Prabhaat ||


|| Chaupai ||

Jay Bhagawan Surya Tam Haari, Jay Khagesh Dinkar Shubhkaari |
Tum Ho Shristi Ke Netra Swaroopa, Trigun Dhaari Trai Ved Swaroopa ||

Tum Hee Karta Paalak Sanhaarak, Bhuvan Chatudarsh Ke Sanchaalak |
Sundar Badan Chaturbhuj Dhaari, Rashmi Rathi Tum Gagan Vihari ||


Chakr Shankh Aru Shwet Kamaldhar, Varmudra Sohat Chotekar |
Sheesh Mukut Kundal Gal Mala, Chaaru Tilak Tab Bhaal Vishala ||

Sapt Ashv Rath Atidrut Gaami, Arun Saarathi Gati Aviraami |
Rakt Varun Aabhooshan Dhaarak, Atipriya Tohe Laal Padaarth ||


Sarvatma Kahe Tumhen Rigveda, Mitra Kahe Tumako Sab Veda |
Panchadevon Mein Pooje Jatae, Manavanchhit Phal Sadhak Paate ||

Dwadash Naam Jaap Uddhaarak, Rog Shok Aru Kasht Nivaarak |
Maan Kunti Tab Dhyan Lagaayon, Daanveer Sut Karn So Paayo ||


Raja Yudhishthir Tab Jas Gaayo, Akshay Paatra Vo Van Mein Paayo |
Shastra Tyaag Arjun Akuraayon, Ban Aaditya Hriday Se Paayo ||

Vindhyachal Tab Marg Mein Aayo, Haahakaar Timir Se Chhayon |
Muni Agastya Giri Garv Mitaayo, Nijatak Bal Se Vindhya Navaayo ||


Muni Agastya Tab Mahima Gaayi, Sumir Bhaye Vijayi Raghurai |
Tohe Virok Madhur Phal Jaana, Mukh Mein Linhee Tohe Hanumana ||

Tab Nandan Shanidev Kahaave, Pavan Ke Sut Shani Teer Mitaave |
Yagy Vrat Stuti Tumhaari Kinhi, Bhent Shukl Yajurved Ki Deenhi ||


Suryamukhi Khari Tar Tab Roopa, Krishna Sudarshan Bhanu Swaroopa |
Naman Tohe Onkaar Swaroopa, Naman Aatma Aru Kaal Swaroopa ||

Dig Digant Tab Tej Prakaashe, Ujjwal Roop Tumhi Aakashe |
Dash Digpal Karat Tab Sumiran, Anjali Nitya Karat Hain Arpan ||


Trividh Taap Harata Tum Bhagwan, Gyaan Jyoti Karata Tum Bhagwan |
Saphal Banaave Tab Aaraadhan, Gayatri Jap Saral Hai Saadhan ||

Sandhya Trikaal Karat Jo Koi, Paave Kripa Sada Tab Vo Hi |
Chitt Shaanti Suryaashtak Deve, Vyaadhi Apaadhi Sab Har Leve ||


Ashtadal Kamal Yantra Shubhakaari, Pooja Upaasan Tab Sukhakaari |
Maagh Maas Shuddha saptami Paawan, Aarambh Ho Tab Shubh Vrat Paalan ||

Bhaanu Saptami Mangalakaari, Bhakti Daayini Doshan Haari |
Ravivaasar Jo Tumako Dhyaave, Putraadik Sukh Vaibhav Paave ||


Paap Roopee Parvat Ke Vinaashi, Vraj Roop Tum Ho Avinaashi |
Rahu Aan Tab Graas Banaave, Grahan Surya Toko Lag Jaave ||

Dharm Daan Tap Karat Hai Saadhak, Mitat Rahu Tab Peeda Baadhak |
Surya Dev Tab Kripa Keeje, Deergha Aayu Bal Buddhi Deeje ||


Surya Upaasana Kar Nit Dhyaave, Kusht Rog Se Mukti Paave |
Dakshin Disha Tori Gati Jaave, Dakshinaayan Vo Hi Kahalaave ||

Uttar Maargi Toro Rath Hove, Uttaraayan Tab Vo Kahalaave |
Man Aru Vachan Karm Ho Paavan, Sanyam Karata Bhalit Aaraadhan ||


|| Doha ||

Bharat Das Chintan Karat, Ghar Dinakar Tab Dhyan |
Rakhiyon Kripa Is Bhakt Pe, Tumhaari Surya Bhagwan |

|| Om Shri Surya Devaya Namah ||

Surya Chalisa PDF – Jay Bhagawan Surya Tam Haari

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