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Mahalakshmi Ashtakam Stotram Benefits – महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्र पाठ के लाभ
Mahalakshmi Ashtakam Stotram Lyrics स्तोत्र अनुसार यदि व्यक्ति लक्ष्मी माता के प्रति समर्पित भाव से इस अष्टकम का पाठ का फल इस प्रकार है
- प्रतिदिन एक काल करने से महापापो का विनाश होता है|
- प्रतिदिन दो काल यह पाठ करने से धन और धान्य की प्राप्ति होती है।
- जो भक्त प्रतिदिन तीन काल यह पाठ करते है उनसे माता महालक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती है तथा उनके वरदान फलस्वरुप भक्तो के सभी कार्य शुभ होंते है और भक्तो के शक्तिशाली दुश्मनों का नाश होता है|
Mahalakshmi Ashtakam Stotram Lyrics in Sanskrit
महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्र (Mahalakshmi Ashtakam Stotram Lyrics) का पाठ देवराज इंद्र द्वारा माता को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए किया गया था| इस स्तोत्र में ही उन्होंने पाठ करने के से भक्तो को होने वाले लाभों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया है| इस पोस्ट में इस स्तोत्र का अर्थ आप हिंदी (Mahalakshmi Ashtakam Stotram Meaning in Hindi) में पढ़ सकते है|
महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्र माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर जीवन को सुखी और सम्पन्न बनाने के लिए एक बहुत ही सरल व् अचूक उपाय है। जो भक्त समय के और सही जानकारी के अभाव में माता की पूजा नहीं कर पाते है उनके लिए यह पाठ बहुत उपयुक्त है| इस पाठ को करने में ज्यादा से ज्यादा 5 मिनट का समय लगता है| नीचे स्क्रॉल कर आप इसे Mahalakshmi Ashtakam Sanskrit PDF Free Download कर सकते है| इस पाठ के बाद माता महालक्ष्मी जी की आरती करना विशेष फलदायी होता है
Mahalakshmi Ashtakam Stotram Meaning in Hindi
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|| श्री महालक्ष्मी अष्टकम ||
|| ॐ श्री गणेशाय नमः ||
|| इन्द्र उवाच: ||
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते | शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते || 1 ||
देवराज इंद्र बोले: मैं महालक्ष्मी की पूजा करता हूं, जो महामाया का प्रतीक है और जिनकी पूजा सभी देवता करते हैं। मैं महालक्ष्मी का ध्यान करता हूं जो अपने हाथों में शंख, चक्र और गदा लिए हुए है।
नमस्ते गरुड़ारूढे कोलासुरभयंकरि | सर्वपापहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते || 2 ||
देवराज इंद्र बोले: पक्षीराज गरुड़ जिनका वाहन है, भयानक से भयानक दानव भी जिनके भय से कांपते है| सभी पापो को हरने वाली देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरी | सर्व दुःखहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते || 3 ||
देवराज इंद्र बोले: मैं उन देवी की पूजा करता हूं जो सब जानने वाली है और सभी वर देने वाली है, वह सभी दुष्टो का नाश करती है। सभी दुखो को हरने वाली देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
सिद्धिबुधिप्रदे देवी भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी | मंत्रमुर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते || 4 ||
देवराज इंद्र बोले: हे भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी महालक्ष्मी कृपा कीजिये और हमे सिद्धि व् सदबुद्धि प्रदान कीजिये। सभी मंत्रों का आप मूल है देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
आद्यन्तरहिते देवी आद्यशक्तिमहेश्वरी | योगये योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तुते || 5 ||
देवराज इंद्र बोले: हे आद्यशक्ति देवी महेश्वरी महालक्ष्मी, आप शुरु व् अंत रहित है। आप योग से उत्पन्न हुई और आप ही योग की रक्षा करने वाली है| देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
स्थूलसूक्ष्म महारौद्रे महाशक्तिमहोदरे | महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते || 6 ||
देवराज इंद्र बोले: महालक्ष्मी आप जीवन की स्थूल और सूक्ष्म दोनों ही अभिव्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। आप एक महान शक्ति है और आप का स्वरुप दुष्टो के लिए महारौद्र है| सभी पापो को हरने वाली देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हास्वरूपिणि | परमेशि जगन्मातारमहालक्ष्मी नमोस्तुते || 7 ||
देवराज इंद्र बोले: हे परब्रम्हास्वरूपिणि देवी आप कमल पर विराजमान है| परमेश्वरि आप इस संपूर्ण ब्रह्मांड की माता हैं देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
श्वेताम्बरधरे देवी नानालङ्कारभुषिते | जगतस्थिते जगन्मातारमहालक्ष्मी नमोस्तुते || 8 ||
देवराज इंद्र बोले: हे देवी महालक्ष्मी, आप अनेको आभूषणों से सुशोभित है और श्वेत वस्त्र धारण किए है| आप इस संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है और इस संपूर्ण ब्रह्मांड की माता हैं देवी महालक्ष्मी आपको नमस्कार हैं।
|| फल स्तुति ||
महालक्ष्मीअष्टकम स्तोत्रम् यः पठेत्भक्तिमानरः | सर्वसिद्धिमवापनोति राज्यम प्राप्तयोति सर्वदा || 9 ||
जो भी व्यक्ति इस महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्र का पाठ भक्तिभाव से करते है उन्हें सर्वसिद्धि प्राप्त होंगी और उनकी समस्त इच्छाएं सदैव पूरी होंगी।
एककालं पठेनित्यम महापापविनाशनं | द्विकालं यः पठेनित्यम धनधान्यसमन्वित: || 10 ||
महालक्ष्मी अष्टकम का प्रतिदिन एक बार पाठ करने से भक्तो के महापापो विनाश हो जाता हैं। प्रतिदिन प्रातः व् संध्या काल यह पाठ करने से भक्तो धन और धान्य की प्राप्ति होती है।
त्रिकालं यः पठेनित्यम महाशत्रुविनाशनम | महालक्ष्मिरभवेर्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा || 11 ||
प्रतिदिन प्रातः दोपहर व् संध्या काल यह पाठ करने से भक्तो के शक्तिशाली दुश्मनों का नाश होता है और उनसे माता महालक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती है तथा उनके वरदान स्वरुप भक्तो के सभी कार्य शुभ होंते है|
Mahalakshmi Ashtakam Stotram Sanskrit PDF
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