[PDF] Kuber Aarti Lyrics in Hindi Free Download श्री कुबेर आरती
धन के देवता कुबेर जी की आरती गाकर भक्त उन्हें प्रसन्न कर उनसे निर्धनता को दूर करने की प्रार्थना करते है। प्रसन्न होने पर देवता अपने भक्तों को पुत्र, धन और मनवांछित फल देते है। मुख्य रूप से श्री कुबेर जी की दो आरतियां ज्यादा प्रचलित है। इनमे से किसी भी आरती के द्वारा आप उनकी आरती कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है। ऑफलाइन पढ़ने के लिए आप नीचे स्क्रॉल कर Kuber Aarti in Hindi PDF मुफ्त डाउनलोड कर सकते है।
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Kuber Aarti Lyrics in Hindi
श्री कुबेर आरती “ॐ जय कुबेर स्वामी”
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
विश्रवा के लाल इदविदा के प्यारे, माँ इदविदा के प्यारे |
कावेरी के नाथ हो, कावेरी के नाथ हो, शिवजी के दुलारे |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
मणिग्रावी मीनाक्षी देवी, नलकुबेर के तात, प्रभु नलकुबेर के तात |
देवलोक में जागृत, देवलोक में जागृत, आप ही हो साक्षात |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
रेवा नर्मदा तट शोभा अतिभारी, प्रभु शोभा अतिभारी |
करनाली में विराजत, करनाली में विराजत, भोले भंडारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
वंध्या पुत्र रतन और निर्धन धन पाये, सब निर्धन धन पाये |
मनवांछित फल देते, मनवांछित फल देते, जो मन से ध्याये |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
सकल जगत में तुम ही, सब के सुखदाता, प्रभु सब के सुखदाता |
दास जयंत कर वंदे, दास जयंत कर वंदे, जाये बलिहारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
। इति श्री कुबेर आरती सम्पूर्णम।
Kuber Aarti in Hindi PDF
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श्री कुबेर आरती “ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे”
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े,
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती, घी की जोत जले॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
। इति श्री कुबेर आरती सम्पूर्णम।
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