Free Download Ganesh Gayatri Mantra PDF – गणेश गायत्री मंत्र हिंदी अनुवाद सहित व् जप के लाभ
प्रथम पूज्य श्री गणेश जी विद्या और बुद्धि के देवता है। गणेश गायत्री मंत्र साधना गणेश जी को शीघ्र प्रसन्न करने का आसान उपाय है। गणपति जी की श्रद्धा पूर्वक की गयी पूजा हर सपना और इच्छाओ को पूरा करने वाली मानी जाती है।
Ganesh Gayatri Mantra – गणेश गायत्री मंत्र
गणेश गायत्री मंत्र तीन प्रकार से उच्चारित किये जाते है। यह मंत्र इस प्रकार है।
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात ।।
Om Mahakarnay Vidmahe, Vakratundayee Dhemhi, Tanno Danti Prachodayat ।।
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात ।।
Om Gajananay Vidmahe, Vakratundaye Dhemhi, Tanno Danti Prachodayat ।।
मुख्य रूप से जिस मंत्र का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है, वह मंत्र इस प्रकार है।
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात ।।
Om Ekadantaya Vidmahe, Vakratundaye Dhemhi, Tanno Danti Prachodayat ।।
Ganesh Gaytri Mantra Meaning – गणेश गायत्री मंत्र का अर्थ
हम सर्वव्यापी एकदन्त घुमावदार सूंढ़ वाले श्री गणपति जी का ध्यान करते है और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वो हमे सदबुद्धि और ज्ञान प्रदान करे और हमारे मन और दिमाग को रोशन करे। हम उस एकदन्त को प्रणाम करते है।
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Ganesh Gayatri Mantra Benefits – गणेश गायत्री मंत्र जप के लाभ
बुध ग्रह को व्यापार, आर्थिक स्थिति, परिवार में शांति और शिक्षा के अवसर, स्वास्थ्य इत्यादि क्षेत्र का कारक माना गया है और चूँकि गणेश जी बुध ग्रह के स्वामी है इसलिए जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा करते है उनसे बुध ग्रह भी प्रसन्न होते है और व्यक्ति को सभी क्षेत्र में आशीर्वाद प्रदान करते है। गणेश गायत्री मंत्र जप के लाभ फलस्वरूप गणेश जी सर्वकामनाओ को पूर्ण करते है।
गणेश गायत्री मंत्र का जप आरंभ करने के लिए शुभ दिन
क्योंकि गणपति जी बुध ग्रह के स्वामी है इसलिए सप्ताह में बुधवार का दिन उनको समर्पित है। इस दिन किसी भी कार्य का आरम्भ करना भी अतिशुभ माना जाता है। और साथ ही साथ चतुर्थी का दिन गणेश जी को अतिप्रिय है।
इस प्रकार गणेश गायत्री मंत्र (Ganesh Gayatri Mantra in Hindi) का जप आरंभ करने के लिए भी बुधवार तथा चतुर्थी का दिन शुभ माना जाता है। इस दिन से शुरूकर लगातार 21 दिनों तक 11 माला गणेश गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति के सामने घी का दीया जलाना चाहिए और जप के दिनों में गणपति जी घी से बने हुए मोदक, यदि मोदक न मिले तो कोई भी अन्य मिठाई का भोग लगाना चाहिए। जप के बाद गणेश जी की आरती करनी चाहिए।
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