GANESH CHATURTHI KAB HAI IN 2021 गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी पूजा विधि | गणेश चतुर्थी महोत्सव का महत्व | Ganesh Puja Mantra PDF “ऊँ गं गणपतये नमो नमः,” | गणेश जी के जन्मदिन की कथा
Ganesh Chaturthi गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी कब है (Ganesh Chaturthi Kab Hai in 2021) और इसका क्या महत्व है समझने के लिए जिन बातों को विशेष रूप से जानना बहुत जरुरी है| वह है, गणेश जी के जन्म की कथा, गणेश जी का परिवार, उनके विवाह की दिलचस्प कथा, गणेश चतुर्थी के ग्यारह दिनों का महत्व, गणेश चतुर्थी की पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi), गणेश पूजा मंत्र, आरती (Ganpati Aarti Lyrics) तथा गणेश चतुर्थी कब (Ganesh Chaturthi Kab Hai) है| यह सभी जानकारी को इस पोस्ट में विस्तार से दिया गया है|
Ganesh Chaturthi Kab Hai in 2021 Date
Year | गणेश चतुर्थी | अनंत चतुर्दशी |
2021 | 10, सितम्बर | 19, सितम्बर |
2022 | 31, अगस्त | 9, सितम्बर |
Importance of Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी महोत्सव का महत्व
चतुर्थी (Chaturthi) का विशेष महत्व है| क्योंकि इन दिनों में गणेश जी अपने भक्तो को दर्शन देते है| भक्तों के साथ ही यह दिन श्री गणेश को भी बहुत प्रिय है।
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भारत के महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है| गणेश चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद के महीने के चौथे दिन मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर महीने के आसपास आती है। यह त्यौहार भाद्रपद की अमावस्या / शुक्ल पक्ष चतुर्थी से लेकर अगले ग्यारह दिनों तक अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) तक मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) दो शब्दों के मेल से बना है गणेश और चतुर्थी| “गणेश” क्योंकि यह ज्ञान के देवता भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
“चतुर्थी” (Chaturthi) का अर्थ है चौथी अवस्था। गणपति मानव शरीर के तीन चरणों से परे हैं अर्थात् जागृत अवस्था, स्वप्न अवस्था और इन दो अवस्थाओं के बीच में है मध्य अवस्था। इन तीनो अवस्थाओं से परे जब गणेश अपने “तुरिया अवस्था” अर्थात चौथे चरण में होते हैं, तो कोई भी उनका दर्शन कर सकता है। इसलिए गणेश चतुर्थी त्यौहार का विशेष महत्व है| (Ganesh Chaturthi 2020)
Ganesh Ji Ke Janmdin Ki Katha
गणेश जी के जन्मदिन की कथा
एक बार, देवी पार्वती अपने घर कैलाश पर्वत पर स्नान की तैयारी कर थीं| उन्होंने नंदी से कहा, कि वह द्वार की सुरक्षा करे और किसी को अंदर न आने दे। जब वह स्नान कर रही थी भगवान् शिव वापस घर आए और नंदी ने उन्हें बिना रोके द्वार से अंदर जाने दिया| इस बात से पार्वती जी थोड़ा गुस्से में थी, उन्होंने सोचा नंदी शिवजी के प्रति ही वफादार है, और मेरे पास ऐसा कोई नहीं|
अगली बार जब वह स्नान करने की तैयारी थी तब उन्होंने अपने शरीर पर लगी हल्दी के लेप से हल्दी लिया और उसमे प्राण फूंक दिया, जिससे गणेश जी का जन्म हुआ| (Ganesh Puja Ki Katha)
जब पार्वती जी स्नान करने गयी, तो उन्होंने गणेश को कहा कि किसी को भी द्वार से अंदर प्रवेश ना करने दे| शिवजी घर आए तो गणेश जी ने उन्हें रोक कर कहा कि किसी को भी अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है|
इस प्रकार रोकने से शिवजी क्रोधित हो गए और उन्होंने गणो को गणेश को वहां से हटाने का आदेश दिया, लेकिन सभी असफल रहे| सभी गणो को परास्त करने के बाद गणेश जी ने शिवजी को भी ललकारा | शिवजी ने रोष में आकर अपने त्रिशूल से गणेश का सिर काट दिया| पार्वती जी मृत गणेश को देखकर इतना क्रोधित हुई कि उन्होंने पूरी सृष्टि को नष्ट करने का फैसला किया| माता का रौद्र रूप देखकर सभी भगवान् ने उनसे शांत होने की विनती की| माता ने कहा की उनका क्रोध शांत होगा जब गणेश जी वापस जिन्दा होंगे|(Ganesh Puja Ki Katha)
शिवजी ने ब्रह्माजी को आदेश दिया कि वह उत्तर दिशा में जाये और जो भी पहला प्राणी मिले उसका सिर लेकर आये, ब्रह्मा जल्द ही एक हाथी का सिर लेकर लौटे, जिसे गणेश के शरीर पर रखकर शिवजी ने गणेश जी को पुनर्जीवित कर दिया| शिवजी ने गणेश को देवताओं और गणों का अधिपति बनाया। इसके लिए उन्हें गणपति भी कहा जाता है| और उन्हें आशीर्वाद दिया कि सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा की जायेगी|
(Ganesh Puja Ki Katha) इस दिन को गणेश चतुर्थी रूप में मनाया जाता है|
Ganesh ji ke Vivah ki Katha
गणेश जी के विवाह की कथा
गणेश जी का विवाह कैसे हुआ इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है| एक तो गणेश जी का सिर एक हाथी का था, और दूसरा एक छोटा सा एक मूषक उनका वाहन था| इसके लिए कोई भी लड़की उनसे विवाह करने के लिए तैयार नहीं थी। इस बात से उनका मूषक बहुत ही नाराज रहता था और जब कभी किसी देवता का विवाह होता तो मूषक विवाह मंडप के नीचे की जमीन खोखला कर सुरंग बना देता और कोई विघ्न उत्तपन्न करता रहता| इस कारण सभी देवता परेशान होकर शिवजी के पास गए और शिवजी ने उन्हें यह कहकर ब्रह्माजी के पास भेज दिया कि इसका समाधान वही करेंगे| (Ganesh Chaturthi 2021 Date)
देवताओ के अनुरोध पर इस समस्या का समाधान करने के लिए, ब्रह्माजी ने ऋद्धि (धन और समृद्धि) और सिद्धि (बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्तियां) नामक दो सुंदर देवियों का योगबल के द्वारा निर्माण किया। और उन दोनों देवियों से गणेश जी का विवाह करवाया| (Ganesh Chaturthi Kab Hai)
Ganesh Chaturthi Puja Ke Labh
गणेश चतुर्थी पूजा करने के लाभ
जब गणेश जी प्रसन्न होते है, उनकी दोनों पत्नियां व दोनों पुत्र भी प्रसन्न हो जाते है| और भक्तों को गणेश जी के आशीर्वाद के साथ-साथ ऋद्धि, सिद्धि, तथा शुभ और लाभ का भी आशीर्वाद मिलता है। भक्तो को जीवन में धन, संपति, बुद्धि, विवेक, प्राप्त होता है| हर क्षेत्र में लाभ व जीवन में शुभ होता हैं| (Ganesh Chaturthi Puja Ke Labh)
Astrological benefits of Ganesh Chaturthi Puja
गणेश चतुर्थी पूजा करने के ज्योतिषीय लाभ
- गणेश चतुर्थी पूजा और दान बुध ग्रह व चन्द्रमा दोष निवारन कर उनके दुष्प्रभाव कम करता है।
- प्रतिकूल स्थिति भी अनुकूल हो जाती है। हर प्रकार की बाधाए दूर होकर सफलता की प्राप्ति होती है|
- आध्यात्मिक विकास के लिए सिद्धियां प्राप्त होती है|
- छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर और परीक्षा में उत्कृष्ट परिणाम मिलते है|
- ऋणों मिटाता है तथा समृद्धि आती है|
- समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
(Ganesh Chaturthi Puja Vidhi) चतुर्थी के दिन मुहूर्त के अनुसार गणेश पूजा करना अधिक श्रेयस्कर होता है, हालाँकि परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति में कभी भी पूजा की जा सकती हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा के लिए आवश्यकता होती है- भगवान गणेश की प्रतिमा, वस्त्र, जनेऊ, ऋतू फल-फूल , दूर्वादलम, मिठाई में विशेष रूप से मोदक, नारियल, चंदन, धुप, दीया और अगरबत्ती| (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi) पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति को मंदिर या ऊँचे आसान पर स्थापित किया जाता है| सबसे पहले घी, दूध, दही, चीनी व शहद को मिलाकर बनाये हुए पंचामृत से उन्हें स्नान कराकर वस्त्र, जनेऊ के बाद रोली-चंदन व पुष्प अर्पित किया जाता है| इसके बाद भोग की वस्तुएँ फल, नारियल व मिठाई को अर्पण किया जाता है| फिर धुप, दीया और अगरबत्ती को भगवान् के सामने जलाकर भगवान गणेश की स्तुति करके उनका आवाहन किया जाता है और उनको प्रत्यक्षः उपस्थित मानकर प्रार्थना की जाती है| और भगवान गणेश को समर्पित मंत्र, भजन व आरती पढ़ी जाती है|
(Ganesh Chaturthi Puja Vidhi) गणेश उत्सव के दौरान मन और ह्रदय को पवित्र रखना चाहिए तथा पूजा स्थल की साफ़ सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए|
Shri Ganesh Puja Mantra
गणेश चतुर्थी पूजा मंत्र
Shri Ganesh Puja Mantra “Om Gan Ganpataye Namo Namah”
श्री गणेश मंत्र
ऊँ गं गणपतये नमो नमः,
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः,
अष्टविनायक नमो नमः,
गणपति बाप्पा मोरया ||
ऊँ गं गणपतये नमो नमः,
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः,
अष्टविनायक नमो नमः,
मंगल मूर्ति मोरया ||
Ganesh Puja Mantra PDF “Om Gan Ganpataye Namo Namah”
गणेश जी की आरती “जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा” पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए क्लिक करे|
- Durga Saptashloki Mantra PDF | दुर्गा सप्तश्लोकी PDF
- Download Durga Kavach PDF in Hindi & Sanskrit | दुर्गा कवच PDF
- Sunderkand PDF | सुंदरकांड PDF व् पाठ की सम्पुट विधि शीघ्र फल हेतु
- Download Durga Saptashati PDF | दुर्गा सप्तशती PDF व् पाठ के 5 नियम
- Aditya Hridaya Stotra PDF Download Lyrics | आदित्यह्रदय स्तोत्र PDF