Download Ganesh Chalisa PDF in Hindi & English | गणेश चालीसा PDF

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गणेश चालीसा का पाठ कर भक्त भगवान् श्री गणेश को प्रसन्न कर मनवांछित फल प्राप्त कर सकते है। लगभग सभी ग्रंथो में वर्णन मिलता है भगवान् गणेश की पूजा का विशेष महत्त्व है क्योंकि प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा-अर्चना किए बिना पूजा, हवन यज्ञ आदि सभी सम्पूर्ण नहीं होते है।

Ganesh Chalisaश्री गणेश जन्मदिन की कथा

गणेश चालीसा में कथा का वर्णन है कि कैसे गणेश जी को प्रथम पूजें जाने का वरदान मिला| कथा कुछ इस प्रकार है जब भगवान् गणेश का जन्म हुआ तो आकाश से पुष्प की वर्षा हो रही थी, भगवान् शिव व् माता पार्वती प्रसन्न होकर आने वालो को दान-दक्षिणा दे रहे थे | देवता, ऋषि-मुनि उनके दर्शनों को आ रहे थे और बालक के दर्शनों का आनंद ले रहे थे|

शनिदेव भी बालक के दर्शन की इच्छा से वहां पहुंचे, किन्तु उन्होंने अपनी कुदृष्टि के बारे में सोचकर बालक के दर्शन नहीं करना चाह रहे थे| पार्वती जी ने उन्हें दर्शन करने को कहा तो शनिदेव यह कहकर टालने लगे कि बालक को मुझे दिखाकर क्या होगा| शनिदेव के ऐसा कहने से माता पार्वती के मन में शक हुआ कि शनि को मेरे बालक का जन्म उत्सव नहीं भा रहा है| उन्होंने शनिदेव को बालक के दर्शन करने का आदेश दिया| जैसे ही शनिदेव की दृष्टि बालक गणेश पर पड़ी बालक का सिर आकाश में उड़ गया| यह देख पार्वती जी ह्रदय व्याकुल हो गया और वो अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ी|

कैलाश पर चारों ओर शोर हो गया कि देवी उमा के पुत्र का शनि ने नाश कर दिया| यह सब हुआ तो भगवान् विष्णु एक हाथी का सिर लेकर गरुड़ पर सवार कैलाश पहुंचे| हाथी के सर को बालक के धड़ पर लगाया गया और भगवान् शिव ने मंत्र पढ़ बालक को पुनः जीवित कर दिया| भगवान् शिव ने बालक को गणेश नाम दिया और प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया|

Ganesh Chalisa PDF Lyrics in Hindiगणेश चालीसा लिरिक्स

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Ganesh Chalisa PDF in Hindi

।। श्री गणेश चालीसा ।।

।। दोहा ।।

जय गणपति सदगुण सदन । कविवर बदन कृपाल ।।
विघ्न हरण मंगल करण । जय जय गिरिजालाल ।।
जय जय गिरिजालाल । जय जय गिरिजालाल ।।


।। चौपाई ।।

जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभ काजू ।।
जय गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायक बुद्घि विधाता ।।
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।।
राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।।

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।।
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्व-विख्याता ।।
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्वारे ।।


कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ।।
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ।।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रुपा ।।
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।।

अति प्रसन्न ह्वै वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।।
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।।
गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रुप भगवाना ।।
अस कहि अन्तर्धान रुप ह्वै । पलना पर बालक स्वरुप ह्वै ।।


बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ।।
सकल मगन सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं ।।
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं । सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं ।।
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।।

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक देखन चाहत नाहीं ।।
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर न शनि तुहि भायो ।।
कहन लगे शनि मन सकुचाई । का करिहौ शिशु मोहि दिखाई ।।
नहिं विश्वास उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कह्यऊ ।।


पडतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ।।
गिरिजा गिरीं विकल ह्वै धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ।।
हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्ह्यों लखि सुत का नाशा ।।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाये । काटि चक्र सो गज शिर लाये ।।

बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मंत्र पढ़ि शंकर डारयो ।।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि वर दीन्हे ।।  
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।।
चले षडानन भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ।।


चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।।
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ।।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहस मुख सकै न गाई ।।
मैं मति हीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।।

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग ककरा दुर्वासा ।।
अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।। 
श्री गणेश यह चालीसा । पाठ करै कर ध्यान ।।


।। दोहा ।।

नित नव मंगल गृह बसै । लहे जगत सन्मान ।।
संभंध अपने सहस्त्र दश । ऋषि पंचमी दिनेश ।।
पूरण चालीसा भयो । मंगल मूर्ति गणेश ।।
मंगल मूर्ति गणेश । मंगल मूर्ति गणेश ।।

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गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी त्यौहार के समय भगवान् गणेश की पूजा का विशेष महत्व है, चतुर्थी के दिनों में गणेश जी अपने भक्तों के बीच रहते है और इस दौरान उनके दर्शन पाना बहुत ही लाभकारी भी है और बहुत आसान भी है|

गणेश चतुर्थी के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करे|

गणेश जी की आरती (जय गणेश जय गणेश देवा)/ सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची तथा गणेश गायत्री मंत्र के द्वारा भी गणेश जी की पूजा की जाती है| 

गणेश जी के अन्य पाठ

Ganesh Chalisa Video

Ganesh Chalisa Lyrics in English

।। Doha ।।

Jai Ganapati Sadagun Sadan । Kavivar Badan Krpaal ।।
Vighn Haran Mangal Karan । Jai Jai Girijalaal ।।
Jai Jai Girijalaal । Jai Jai Girijalaal ।।


।। Chaupai ।।
Jai Jai Jai Ganapati Ganaraajoo । Mangal Bharan Karan Shubh Kaajoo ।।
Jai Gajabadan Sadan Sukhadaata । Vishv Vinaayak Budghi Vidhaata ।।
Vakr Tund Shuchi Shund Suhaavan । Tilak Tripund Bhaal Man Bhaavan ।।
Raajat Mani Muktan Ur Maala । Svarn Mukut Shir Nayan Vishaala ।।

Pustak Paani Kuthaar Trishoolan । Modak Bhog Sugandhit Phoolan ।।
Sundar Peetaambar Tan Saajit । Charan Paaduka Muni Man Raajit ।।
Dhani Shivasuvan Shadaanan Bhraata । Gauree Lalan Vishv-Vikhyaata ।।
Rddhi Siddhi Tav Chanvar Sudhaare । Mooshak Vaahan Sohat Dvaare ।।


Kahau Janm Shubh-Katha Tumhaaree । Ati Shuchi Paavan Mangalakaaree ।।
Ek Samay Giriraaj Kumaaree । Putr Hetu Tap Keenho Bhaaree ।।
Bhayo Yagy Jab Poorn Anoopa । Tab Pahunchyo Tum Dhari Dvij Rupa ।।
Atithi Jaani Kai Gauri Sukhaaree । Bahuvidhi Seva Karee Tumhaaree ।।

Ati Prasann Hvai Var Deenha । Maatu Putr Hit Jo Tap Keenha ।।
Milahi Putr Tuhi Buddhi Vishaala । Bina Garbh Dhaaran Yahi Kaala ।।
Gananaayak Gun Gyaan Nidhaana । Poojit Pratham Rup Bhagavaana ।।
As Kahi Antardhaan Rup Hvai । Palana Par Baalak Svarup Hvai ।।


Bani Shishu Rudan Jabahin Tum Thaana । Lakhi Mukh Sukh Nahin Gauri Samaana ।।
Sakal Magan Sukhamangal Gaavahin । Nabh Te Suran Suman Varshaavahin ।।
Shambhu Uma Bahudaan Lutaavahin । Sur Muni Jan Sut Dekhan Aavahin ।।
Lakhi Ati Aanand Mangal Saaja । Dekhan Bhee Aaye Shani Raaja ।।

Nij Avagun Guni Shani Man Maaheen । Baalak Dekhan Chaahat Naaheen ।।
Girija Kachhu Man Bhed Badhaayo । Utsav Mor Na Shani Tuhi Bhaayo ।।
Kahan Lage Shani Man Sakuchaee । Ka Karihau Shishu Mohi Dikhaee ।।
Nahin Vishvaas Uma Ur Bhayoo । Shani Son Baalak Dekhan Kahyoo ।।


Padatahin Shani Drg Kon Prakaasha । Bolak Sir Udi Gayo Akaasha ।।
Girija Gireen Vikal Hvai Dharanee । So Dukh Dasha Gayo Nahin Varanee ।।
Haahaakaar Machyo Kailaasha । Shani Keenhyon Lakhi Sut Ka Naasha ।।
Turat Garud Chadhi Vishnu Sidhaaye । Kaati Chakr So Gaj Shir Laaye ।।

Baalak Ke Dhad Oopar Dhaarayo । Praan Mantr Padhi Shankar Daarayo ।।
Naam Ganesh Shambhu Tab Keenhe । Pratham Poojy Budghi Nidhi Var Deenhe ।। 
Buddhi Pareeksha Jab Shiv Keenha । Prthvee Kar Pradakshina Leenha ।।
Chale Shadaanan Bharami Bhulaee । Rache Baith Tum Budghi Upaee ।।


Charan Maatu-Pitu Ke Dhar Leenhen । Tinake Saat Pradakshin Keenhen ।।
Dhani Ganesh Kahi Shiv Hiy Harashe । Nabh Te Suran Suman Bahu Barase ।।
Tumharee Mahima Buddhi Badaee । Shesh Sahas Mukh Sakai Na Gaee ।।
Main Mati Heen Maleen Dukhaaree । Karahun Kaun Vidhi Vinay Tumhaaree ।।

Bhajat Raamasundar Prabhudaasa । Jag Prayaag Kakara Durvaasa ।।
Ab Prabhu Daya Deen Par Keejai । Apanee Bhakti Shakti Kachhu Deejai ।। 
Shree Ganesh Yah Chaaleesa । Paath Karai Kar Dhyaan ।।


।। Doha ।।
Nit Nav Mangal Grh Basai । Lahe Jagat Sanmaan ।।
Sambhandh Apane Sahastr Dash । Rishi Panchamee Dinesh ।।
Pooran Chaaleesa Bhayo । Mangal Moorti Ganesh ।।
Mangal Moorti Ganesh । Mangal Moorti Ganesh ।।

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