Download Bajrang Baan PDF in Hindi | बजरंग बाण पाठ PDF

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“यह बजरंग बाण जो जापै, तेहिते भूत प्रेत सब कापें” जो भक्त बजरंग बाण पाठ का जप करते है उनके पास आने और उनको किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाने का सोचकर ही भूत-प्रेत डर से कांपने लगते हैं।

बजरंग बाण पाठBajrang Baan Path

बजरंग बाण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा 16वी शताब्दी की गयी। इस पोस्ट में आप पढ़ सकते है बजरंग बाण पाठ करने के लाभ और नियम जिनको ध्यान में रखकर इस पाठ को करना चाहिए।

बजरंग बाण का ह्रदय से पाठ करने से मन की शांति तो मिलती ही है साथ ही साथ अनेकोनेक सांसारिक सुख का भी लाभ मिलता है। इस पोस्ट में बजरंग पाठ का अर्थ विस्तार पूर्वक दिया गया है ताकि व्यक्ति पाठ का महत्व व् अर्थ समझ कर इसका नियमित पाठ करे और अपने जीवन को सुखी बना सके।

बजरंग बाण पाठ लिरिक्स अर्थ सहितBajrang Baan Lyrics with Meaning in Hindi

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।। दोहा ।।

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान।।
अर्थ: जो भक्त अपने ह्रदय में आपके प्रति पूरी श्रद्धा व प्रेम भाव सहित संकल्प के साथ आपसे प्रार्थना करते है।
हे हनुमान जी, आप अपने सभी भक्तों के सकल कार्यों को शुभदायक और सफल करते हैं।

।। चौपाई ।।

जय हनुमंत संत हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजे, आतुर दौरि महासुख दीजै ।
जैसे कूदि सिंधु बही पारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ।
आगे जाइ लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुर लोका


अर्थ: हे संतों का हित करने वाले हनुमान जी, आपकी सदा ही जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना को सुन लीजिये।
हे पवनपुत्र, बिना किसी विलम्ब के भक्तजनो के कार्यों को करे। जल्दी से आप आकर हमे महा सुख प्रदान कीजिये।
हे बजरंग बलि जिस प्रकार आपने कूद कर समुद्र को पार किया था। सुरसा जैसी विशालकाय राक्षसी के शरीर में प्रवेश कर भी आप सकुशल लौट आये थे।
जब लंका के द्वार पर लंका की प्रहरी लंकिनी ने आपको रोका, तो लात मार कर आपने उसे सुरलोक पंहुचा दिया।

जाये विभीषण को सुख दीन्हा, सीता निरखि परम पद लीन्हा ।
बाग़ उजारि सिंधु मह बोरा, अति आतुर यम कातर तोरा ।
अक्षय कुमार को मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा ।
लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुर पुर मह भई ।


अर्थ: लंका में विभीषण के मिलकर आपने उनको असीम सुख दिया। सीता माता को ढूंढ़कर उनके आशीर्वाद फलस्वरूप आपको परम पद की प्राप्ति हुई।
आपने सारी अशोक वाटिका को उजाड़ कर आपने समुद्र में डूबा डाला और रावण के सैनिकों के लिए यम के दूत बन गए।
क्षण में ही आपने रावणपुत्र अक्षय कुमार को मार कर उसका संहार कर दिया। आपने अपनी पूंछ से पूरी की पूरी लंका नगरी को जला डाला।
लंकानगरी लाह के समान धू-धू कर जल गयी। पूरे देवलोक में आपकी जय जयकार होने लगी।

अब बिलम्ब केहि कारण स्वामी, कृपा करहु उर अंतर्यामी ।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता, आतुर होइ दु:ख करहुँ निपाता ।
जय गिरिधर जय जय सुख सागर, सुरसमूह समरथ भटनागर ।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले, बैरहि मारु बज्र की कीले ।


अर्थ: हे स्वामी मुझ दास के कार्य सवारने में आप किस कारण देरी कर रहे हैं, हे अंतर्यामी प्रभु मुझ पर कृपा कीजिये।
हे हनुमान जी आपकी जय हो, जैसे आपने लक्ष्मण जी के प्राण की रक्षा की थी। उसी प्रकार आप मुझ आतुर के दुःखो का निवारण कीजिये।
हे पहाड़ को उठाने वाले, सुख के सागर बजरंग बलि आपकी जय हो। आप में अनेको देवताओं के बराबर शक्ति व् सामर्थ्य है।
हे हनुमान जी आप भक्तों की रक्षा के लिए ढृढ प्रतिज्ञ है। अपने वज्र से मेरे शत्रुओं पर प्रहार कर मुझे बचाइए मुझ पर कृपा कीजिये। 

गदा बज्र  लै बैरहि मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
ॐ कार हुंकार महावीर धावो, बज्र गदा हाउ विलम्ब न लावो ।
ॐ ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा, ॐ हूं हूं हूं हनु अरिउर शीशा ।
सत्य होउ हरि सपथ पायके, रामदूत धरु मारु धाय के ।


अर्थ: हे प्रभु, अपनी वज्र की गदा ले मेरे शत्रुओ का संहार करो। हे बजरंग बलि महाराज प्रभु मुझ दास को विपत्तियों से छुटकारा दिलाइए ।
हे महाप्रभु, आप ओंकार की हुंकार भरकर मेरे कष्टों पर धावा बोल दीजिये और बिना विलम्ब किए अपनी गदा से प्रहार कर उन्हें समाप्त कर दीजिये ।
हे वानरों के स्वामी, हे शक्तिमान परमेश्वर बजरंग बलि हनुमान, मेरे दुश्मनों के ह्रदय व् शीश धड़ से अलग कर दीजिये ।
हे बजरंग बलि, आपको प्रभु श्री राम की शपथ है, मेरी विनय को स्वीकार कीजिये। हे रामदूत मेरे शत्रुओ का विनाश कर दीजिये।

जय जय जय हनुमंत अगाधा, दुःख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा, नहि जानत कछु दास तुम्हारा ।
बन उपवन मग गिरि गृह माही, तुमरे बल हम डरपत नाही ।
पाय परों कर जोरि मानवो, यह अवसर अब केहि गेहरावो ।


अर्थ: हे असीम शक्तियों के स्वामी बजरंग बलि, मैं अपने ह्रदय की अथाह गहराइयों से आपकी सदा जय जयकार करता हूं। प्रभु आप के होते हुए मुझ सेवक को किस अपराधों के कारण दुःख मिल रहा हैं।
हे कृपा निधान, आपका यह दास पूजा, जप, तप के नियम और आचार कुछ भी नहीं जानता है।
आपके बल के संरक्षण में रहकर आपके भक्तो को जंगल, उपवन, मार्ग, पर्वत या फिर चाहे घर हो कहीं भी भय नहीं लगता है।
हे प्रभु मैं आपके चरणों में दंडवत प्रणाम कर, हाथ जोड़कर आपसे अपनी विपत्ति कह रहा हूँ। आपके सिवा भला और कौन है जिससे मै अपनी रक्षा की गुहार लगाऊं।
(Bajrang Baan PDF)

जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकर सुवन धीर हनुमंता ।
बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रति पालक ।
भूत प्रेत पिसाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर ।
इन्हे मारुं तोहि सपथ राम की, राख नाथ मर्यादा नाम की ।


अर्थ: हे अंजनी पुत्र, हे अतुलित बल के स्वामी, आपकी सदा ही जय हो। हे भगवान शंकर के अंश, कृपया मेरी रक्षा कीजिये।
हे बजरंग बलि, आपका बदन विशाल है आप साक्षात काल का भी काल है। आप भगवान श्री राम के सहायक है दीन-दुखियों का पालन करते है।
भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल व रात् में घूमने वाली दुष्ट आत्माओं को आप अपनी नेत्र की अग्नि से भस्म कर देते हैं।
हे बजरंग बलि, आपको प्रभु श्री राम की शपथ है, इन दुष्टो का संघार कीजिये और हे नाथ अपने नाम की प्रतिष्ठा रखिये।

जनक सुता हरि दास कहावो, ताकि शपथ बिलम्ब न लावो ।
जय जय जय धुनि होत अकाशा, सुमिरत होत दु:सह दुःख नाशा ।
चरण शरण करि जोरि मानवो, यही अवसर अब केहि गोहरावौं ।
उठु उठु चलु तोहि राम दोहाई, पाँय परों कर जोरि मनाई ।


अर्थ: आप माता सीता व् श्री राम के सेवक हैं आपको उनकी सौगंध हैं, अपने इस दास की विपत्ति का शीघ्र निवारण कीजिये।
हे पवनपुत्र, आपके जय जयकार की ध्वनी सदा ही आकाश में गूंजती रहती है। आपके स्मरण मात्र से ही दारुण दुखो का भी पूरी तरह से नाश हो जाता है।
आपके चरणों में शरण लेकर आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ, हे प्रभु मेरा पथ-प्रदर्शन करें, आपके अलावा मैं किसे पुकारूँ।
आपको भगवान श्री राम की सौगंध है कृपया उठकर चले आइये। मै आपके पांव पकड़कर व् हाथ जोड़कर अपनी विपत्तियों को समाप्त करने की प्रार्थना कर रहा हूँ ।

ॐ चं चं चं चंपल चलन्ता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे, ताहि कहो फिरी कौन उबारो ।


अर्थ: हे वायु के वेग समान गति वाले और अत्यंत फुर्तीले पवनपुत्र, मुझ पर कृपा कीजिये और मेरी विपत्तियों का नाश कर दीजिये।
हे बिजली समान तेज वानर राज, आपकी हुंकार भरने से दुष्ट व् राक्षस सहम हो इस प्रकार लुप्त हो जाते है जैसे सूर्योदय होने से अंधकार लुप्त हो जाता है।
हे प्रभु हनुमान जी, हम भक्तजनों को सभी विपत्तियों से तुरंत उबार हमारे मन को शांत कीजिये। जिससे हम आपका सुमिरन कर हमें परम आनंद प्राप्त हो।
यह बजरंग बाण जिसे मार दिया जाय तो फिर तीनो लोको मे ऐसा कौन है जो उसको उबार सके।

पाठ करें बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करें प्राण की ।
यह बजरंग बाण जो जापै, तेहिते भूत प्रेत सब कापें ।
धुप देय अरु जपे हमेशा, ताके तन नहि रहें कलेशा


अर्थ: जो समर्पण भाव से इस बजरंग बाण का नियमित रूप से पाठ करते है, उनके प्राणों की रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हैं।
जो भक्त इस बजरंग बाण पाठ का जप करते है। भूत-प्रेत उनके पास फटकने का सोचकर ही डरकर कांपने लगते हैं।
जो भक्त हनुमान जी की धूप-दीप आदि देकर बजरंग बाण पाठ का जाप करते है, उनके शरीर में कोई भी रोग-क्लेश नहीं रह जाता है।
(Bajrang Baan PDF)

।। दोहा ।।

प्रेम प्रतीतिहि कपि भजे, सदा धरें उर धयान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्धि करें हनुमान।
अर्थ: जो व्यक्ति प्रेमपूर्वक कपिराज हनुमान जी को भजन करते है। सदा ही अपने ह्रदय में उनका ध्यान करते है।
हनुमान जी उनके सर्वकार्यों को शुभता के साथ सम्पूर्ण करते है, सर्वकामनाओ को सिद्ध करते हैं।

।। इति श्री बजरंग बाण समाप्त: ।।

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हनुमान जी के अन्य पाठ

बजरंग बाण पाठ के लाभBajrang Baan Benefits

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Bajrang Baan

बजरंग बाण का पाठ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है। बजरंग बाण का नियमित व् निष्ठां से पाठ करने वाले भक्तो को भौतिक एवं आद्यात्मिक दोनों ही प्रकार के अनेको लाभ प्राप्त होते मिलते है। तुलसीदास जी द्वारा रचित बजरंग बाण पाठ में ही इन लाभों का वर्णन किया हुआ है। अनेकोनेक लाभों में से कुछ प्रमुख लाभ (Bajrang Baan Benefits) इस प्रकार है।

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान” बजरंग बाण के इस दोहे के अनुसार जो भक्त अपने ह्रदय में हनुमान जी के प्रति पूरी श्रद्धा व प्रेम भाव सहित संकल्प लेकर उनसे प्रार्थना करते है तो हनुमान जी, अपने उन  सभी भक्तों के सकल कार्यों को शुभदायक और सफल करते हैं।

“पाठ करें बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करें प्राण की”जो भक्त स्वयं को हनुमान जी को समर्पित कर देते है और बजरंग बाण का नियम से पाठ करते है, उनके प्राणों की रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हैं।

“धुप देय अरु जपे हमेशा, ताके तन नहि रहें कलेशा” जो भक्त बजरंग बाण पाठ का जाप करते समय हनुमान जी के सामने धूप-दीप आदि जलाते है, ऐसे भक्तों के शरीर निरोगी हो जाते है अर्थात उनके शरीर से सभी प्रकार के रोग-दोष मिट जाते है।

बजरंग बाण पाठ के नियमBajrang Baan Path Ke Niyam

बजरंग बाण का पाठ करने के लिए कुछ नियमो का पालन आवश्य करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करना चाहिए। मन से सभी प्रकार के नकारात्मक विचारो को हटा कर ही पूजा करनी चाहिए। इसके आलावा घर एवं पूजा स्थल की साफ़ सफाई भी बहुत जरुरी है।

बजरंग बाण का पाठ मंगलवार और शनिवार को करना विशेष लाभकारी माना जाता है। बजरंग बाण पाठ शुरू करने से पहले शुद्ध देसी घी का दिया हनुमान जी के सामने जलाना चाहिए। बजरंग बाण पाठ के बाद देसी घी के दीये से हनुमान जी की आरती करनी चाहिए। आरती के उपरांत अपनी इच्छा पूर्ण करने हेतु हनुमान जी से प्रार्थना करनी चाहिए।

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